जो कुछ भी है दिल में बताया कर
जो कुछ भी है दिल में बताया कर
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जो कुछ भी है दिल में बताया कर,
वास्ता है तुम को ना रुलाया कर।
यूँ ये खुशियाँ मिलती नहीं जग में,
थोड़ा हँसकर आकर जगाया कर।
फूलों सा खिलता मुखड़ा दुलारा है,
पागल को दिल में ही बसाया कर।
महफिल में बंदा क्यों अकेला सा,
नजरों से नजरें झट मिलाया कर।
चंदा सी मूरत है खूबसूरत सी,
औझल होकर ना यूँ छुपाया कर।
मनसीरत बातों में लगा कर मन,
पलकों की झपकी से हँसाया कर।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)