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26 May 2020 · 2 min read

जो कहर बनकर आया है,! वह अवसर बनकर जाएगा?

यह महामारी जिसने दुनिया को हिला दिया,
जिसने हमारे वजूद को झकझोर दिया,
जिसके कारण हमने कष्ट सहा,
जिससे जाने कितने घर बरबाद हुए,
जिससे ना जाने कितने बच्चे अनाथ हुए,
जिसने कितने बहनों का सुहाग छिना,
जो कितने मात-पिता के लालों को लील गया,
वह जो हम सब पर कहर बनकर बरपा है।

जिसने हमको यह सबक दिया,
धनीयों के धन को बेकार दिया,
मेहनत कशों की मेहनत को नकार दिया,
फुर्सत नहीं थी जिन्हें पल भर की,
उन्हें घर पर रुकने को मजबूर किया,
वह जो हम सब पर कहर बनकर बरपा है।

जिसने अर्थ तंत्र को थाम लिया,
जिसने उद्योग धंधों को जाम किया,
जिसने सड़कों को सुनसान किया,
जिसने सरकारों को नाकाम किया,
जिसने हर किसी को विश्राम दिया,
वह जो हम सब पर कहर बनकर बरपा है।

जिसके कारण मजदूर लहुलुहान हुआ,
जिसके कारण किसान बेहाल हुआ,
जिसके कारण रोजगार छीन गया,
जिसके कारण कारोबार बिखर गया,
जिसके कारण सुख-चैन ना रहा,
वह जो हम सब पर कहर बनकर बरपा है।

जो हमको मिटाने को आया है,
उसने हमको ललकारा है,
हमने भी भोग लिया वह दुख सारा,
देख लिया हमने उसके कहर को,
अब ना सहेंगे उसके डर को,
निकल पड़े हैं अब हम काम करने को,
वह जो हम सब पर कहर बनकर आया है,
बदल देंगे हम उसके असर को,
बनाकर उसी की ढाल के अवसर को।

इतनी पीड़ा में जो डटे रहे,
अपने पर भी जिन्होंने यह जख्म सहे,
लेकिन पीडितों की सेवा में लगे रहे,
वह स्वास्थय सेवी जितने भी रहे, डॉक्टर,नर्स,फार्मसिष्ट,या वार्ड ब्वाय कहें,
वह पुलिस कर्मी हैं या अर्द्ध सैनिक रहे,
अपने प्राण को न्योछावर किए।

उनके बलिदान को ब्यर्थ ना जाने देंगे,
हम सब अब आत्मनिर्भर बनेंगे,
हर वस्तु का निर्माण यहां करेंगे,
खाद्यान्न में तो हम पहले ही विजय पा गए हैं,
कल कारखाने भी हमारे लगे हुए हैं,
हां स्वास्थय सुविधाएं बढ़ाने को है,
हर हाथ को काम दिलाने को है, सभी को आत्मनिर्भर बनाने को है।

हमारे नौजवानों ने इसे साबित कर दिखाया है,
अपने को हर मुसीबत में पड़ कर तपाया है,
हमारे वैज्ञानिकों ने चांद और मंगल पर अपना दर्ज फहराया है,
हमारे सैनिकों ने सीमाओं पर चट्टान बनकर बताया है,
हमारे किसानों ने बंजर पड़ी भूमि को उपजाऊ बनाया है,
हमारे श्रमिक भाईयों ने महानगरों को सजाया है,
हमारे मेहनत कशों ने भी हर क्षेत्र में उत्पादन बढाया है,
हां कुछ समय के लिए इस आपदा ने हमें सताया है,
लेकिन अब हमने भी इसी को आधार बनाकर,
अपने को आत्मनिर्भर बनाने का स्वप्न दिखाया है,
तो हम तैयार हो गये हैं अब,
इस के कहर से निजात पाने को,
चल पड़े हैं अब हम इसे अवसर बनाने को,
रुकेंगे नहीं अब हम, चाहे कोई कितनी भी कोशिश कर ले,
ठान लिया है अब हमने, यह अवसर भुनाने को।।

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 307 Views
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