जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।
जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।
जिसके भीतर जरा भी समझ नहीं वो मुझे समझा रहें हैं।
जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।
जिसके भीतर जरा भी समझ नहीं वो मुझे समझा रहें हैं।