जो कभी रहते थे दिल के ख्याबानो में
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जो कभी रहते थे दिल के ख्याबानो में
अर्सा गुजरा उन्हें गुजरे हुए ज़मानो में …..
किस तरह जीते थे हम उनके निगाह बानो में
जेसे खुशबू को कोई कैद करे सामानों में
कल हकीकत थे अब ज़मी दोष हुए
किस्से अब रह गए सिर्फ अफ़सानो में
बक्शना उनको सुबह शाम है बस अपना काम
नूर ही नूर है वो रूह है उनकी आसमानों में
वो शफकत का साया जब तलक सर पे था
हम कभी डूब नहीं सकते थे तूफानों में
उन सी सूरत उन सा पैकर ढ़ूढ के लाए कहा
अब तो हम खुद उतरते जा रहे है उन्हीं पैमानों में……..
ShabinaZ