जो कभी था अहम, वो अदब अब कहाँ है,
जो कभी था अहम, वो अदब अब कहाँ है,
सिर्फ दौलत की बातें, ये दुनिया जहाँ है।
व्यक्तित्व और संस्कार किसे चाहिए अब,
पैसे के बिना, कोई यहाँ मेहरबाँ है?
कामयाबी की शर्तें रखी हैं सभी ने,
सच्चाई की बातें तो बस इक बहाना है।
रिश्ते भी अब मोल-तोल पे टिके हैं,
सम्मान भी पैसों का कोई तराना है।
सबल हो अगर, तो है घर में जगह,
वरना हर इंसान को बस भुलाना है।
लड़कों का सच है ये कड़वा जहाँ में,
सिर्फ कामयाबी ही अब तो ठिकाना है।