जो आया है इस जग में वह जाएगा।
कौन है जो इस जग में
हमेशा के लिए रहने आया है।
कहाँ कोई इस जग से
कुछ लेकर जा पाया है।
फिर भी ऐ मुर्ख इंसान
क्यों जीवन भर रहते हो तुम परेशान।
मैं – मैं के चक्कर में आकर
अपने इस जीवन को क्यों करते हो
कई तरह से तुम बदनाम।
जो जीवन मिला है जीने के लिए
तुम उसको भी खो देते हो।
जो खुशियाँ तेरे सामने आती है।
तुम उसमें भी कहाँ खुश हो पाते हो।
कौन सा ऐसा चीज है तुम्हारा
जिसके लिए जीवन भर रोते रहते हो।
बाहर में तुम खुशी तलाशतें रह जाते हो।
और अपने अन्दर की खुशी को
हर दिन मारते जाते हो।
जो जीवन दिया ईश्वर ने
उसको भी तुम क्यों गँवाते हो
जीवन भर कमाने के चक्कर मे
न जाने कितनों को तड़पाते हो।
खुद भी ऐ इंसान कहाँ तुम जी पाते हो।
दर्द में हमेशा रोते रहते हो
और जब खुशियाँ मिलती है
तो उससे और अधिक पाने के लिए
भागते रह जाते हो।
उसको भी तुम कहाँ गले लगा पाते हो।
चंद समय सोचकर देखना ऐ इंसान
तुम क्या खोते, क्या पाते हो।
जिस बाहरी सुख को पाने में लिए
तुम सारा जीवन लगा देते हो।
क्या इस दुनियाँ से तुम लेकर जा पाते हो।
~ अनामिका