जो असलियत है
जो असलियत है अगर उनमें उतरे
तो गहराईयां नापी नहीं जाती
जो ख्याल है अगर उनको कहें
तो कहावतें कहीं नहीं जाती।
अगर देखूं आज़ ओर खुद को
तो यादें छुपायी नहीं जाती
साहिल है,वो भी धुंधला है
तों पगडण्डियाँ छोड़ी नहीं जाती।
कमाल हुआ की ज़िंदा रहे
ये आदत भूली नहीं जाती
चालबाजी, तो महज़ इत्तेफाक हैं
सादगी धोये धूली नहीं जाती।
आसमां को देखो, चाहें जैसा दिखे
नज़रें कभी झुकायी नहीं जाती
धुप,छांव और बारिश की बातें हैं
तो जन्नते….पुछी नहीं जाती।
और क्या होगा कहिए जन्नत में
कोई और दिशा सोची नहीं जाती।
शिवम राव मणि