जो “अपने” का नहीं हुआ,
जो “अपने” का नहीं हुआ,
वो “अपना” क्या होगा?
इस विचार का स्मरण-मात्र
परम-शांतिदायक है।
आज़मा कर देखिए कभी।।
■प्रणय प्रभात■
जो “अपने” का नहीं हुआ,
वो “अपना” क्या होगा?
इस विचार का स्मरण-मात्र
परम-शांतिदायक है।
आज़मा कर देखिए कभी।।
■प्रणय प्रभात■