जो अँधेरों में पड़े, उनको उजाला दे सके!
गजल
2122……2122…….2122……212
जो अँधेरों में पड़े, उनको उजाला दे सके!
हो कोई जो मुफ़लिसों को, दो निवाला दे सके!
तुम हमारे हम तुम्हारे, साथ डटकर हों खड़े,
किसकी हिम्मत है, जो हमको गम का प्याला दे सके!
प्यार का गहरा नशा, गर तुम पे यारो चढ़ गया,
फिर कहाँ उससे जियादा, कोई हाला दे सके!
हार बाहों का गले में, डाल दे गर नाजनीं,
वो कहाँ सौंदर्य सुख, हीरे की माला दे सके!
प्रेम है वो चीज, जो नश्वर नहीं संसार में,
एक प्रेमी दे सके जो, क्या शिवाला दे सके!
……सत्य कुमार प्रेमी