जोड़े कल तक जो खड़ा
कुंडलियां छंद
जोड़े कल तक जो खड़ा,सम्मुख सबके हाथ।
हाथ हिलाता दूर से,बना आज वह नाथ।
बना आज वह नाथ, देखकर देता टाइम।
जनता की इग्नोर ,समझता खुद को प्राइम।।
कहै अटल कविराय, मक्खनी मटकी फोड़े।
आज जुडाता हाथ, खड़ा जो कल तक जोड़े।।