चली गई है क्यों अंजू , तू पाकिस्तान
(शेर) – बहुत टूट रहे हैं रिश्तें, इश्क के इस शौक में।
हो रहे हैं बर्बाद घर,मोहब्बत के इस रोग में।।
घोर कलयुग है, नहीं अब शर्म और वफादारी।
हो रहे हैं खून बहुत अब, प्रेम के इस रोग में।।
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छोड़कर अपना पति,और अपनी सन्तान।
चली गई है क्यों अंजू , तू पाकिस्तान।।
अंजू तू बेहया है, अंजू तू बेवफा है।।(2)
छोड़कर अपना पति ——————–।।
तुमको हिंदुस्तान सा, नहीं कोई देश मिलेगा।
पाकिस्तान में प्यार- सम्मान, तुमको नहीं मिलेगा।।
भूल गई तू वफादारी, और हिंदुस्तान।
चली गई है क्यों अंजू , तू पाकिस्तान।।
अंजू तू बेहया है, अंजू तू बेवफा है।।(2)
छोड़कर अपना पति ————————।।
अपने पति-परिवार से, झुठ बोलकर तू गई।
बेशर्म- निर्दयी तू , अपने बच्चों को भूल गई।।
कर दिया बदनाम तुमने, देश- खानदान।
चली गई है क्यों अंजू , तू पाकिस्तान।।
अंजू तू बेहया है, अंजू तू बेवफा है।।(2)
छोड़कर अपना पति——————-।।
रिश्तों और नारी को, तुमने शर्मसार किया है।
पति – पत्नी के विश्वास को, दागदार किया है।।
कह रहा है तुमको पापी, यहाँ हर इन्सान।
चली गई है क्यों अंजू , तू पाकिस्तान।।
अंजू तू बेहया है, अंजू तू बेवफा है।।(2)
छोड़कर अपना पति————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)