जोड़कर बढ़ो
रूढियों को पीछे , छोड़कर बढ़ो,
जो भी टूटा है उसे जोड़कर बढों ।
यूं तो हर वर्ष आता है नया साल,
इस बार अहम् को तोड़कर बढ़ो ।
बहुत ही खूबसूरत दिखेगी दुनिया,
जेहन से नफरतों को निचोड़कर बढ़ो।
रूढियों को पीछे , छोड़कर बढ़ो,
जो भी टूटा है उसे जोड़कर बढों ।
यूं तो हर वर्ष आता है नया साल,
इस बार अहम् को तोड़कर बढ़ो ।
बहुत ही खूबसूरत दिखेगी दुनिया,
जेहन से नफरतों को निचोड़कर बढ़ो।