जै हे जगजननी सीता।
जै हे जगजननी सीता।
-आचार्य रामानंद मंडल
जै हे जगजननी माता।
जै हे जगजननी सीता।
जै हे मिथिला बहिना।
जै हे मिथिला धिया।
देखूं मिथिला नहिरा।
बनल मैथिल सोलकन -बभना।
बनल मैथिली अंगिका -बज्जिका।
जै हे मिथिला बहिना।
आउ संग राम पहुना।
आउ मिथिला नहिरा।
देखूं अपन भाई-भतिजा।
मांगे आशीष मिथिला।
मिटे भेद-भाव मिथिला।
बोले मैथिली मिथिला।
जै हे जगजननी सीता।
बंदना करैय रामा भइया।
जै हे मिथिला बहिना।
जै हे मिथिला धिया।
जै हे जगजननी सीता।
जै हे जगजननी माता।
स्वरचित @सर्वाधिकार रचनाकाराधीन।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।