जैसे हम,
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जैसे हम,
आंखों के इतने करीब से,
किताबें पढ़ नहीं पाते।
वैसे ही हम,
अपनों के इतने करीब से,
भावनाओं को समझ नहीं पाते…..
!!जोहार!!
जैसे हम,
आंखों के इतने करीब से,
किताबें पढ़ नहीं पाते।
वैसे ही हम,
अपनों के इतने करीब से,
भावनाओं को समझ नहीं पाते…..
!!जोहार!!