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17 Jun 2024 · 1 min read

जैसे हम,

जैसे हम,
आंखों के इतने करीब से,
किताबें पढ़ नहीं पाते।
वैसे ही हम,
अपनों के इतने करीब से,
भावनाओं को समझ नहीं पाते…..
!!जोहार!!

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