जैसे आँखों को
जैसे आँखों को
छू जाए
कच्चे पक्के सपने,
जैसे कोई दुल्हन पहने
आभूषण और गहने,
जैसे पतझर
झर जाए
नव पुष्प
लगे हों खिलने,
जैसे होठों पर
हो कोई गीत
मधुर सा तिरने
मैंने तुमको
पाया है
इतने पास अपने।
जैसे आँखों को
छू जाए
कच्चे पक्के सपने,
जैसे कोई दुल्हन पहने
आभूषण और गहने,
जैसे पतझर
झर जाए
नव पुष्प
लगे हों खिलने,
जैसे होठों पर
हो कोई गीत
मधुर सा तिरने
मैंने तुमको
पाया है
इतने पास अपने।