जैसा भी ये जीवन मेरा है।
कभी मीठा सा, कभी खारा सा,
उन्मुक्त कभी कभी कारा सा,
जैसा भी ये जीवन मेरा है।
लगे गैर कभी, कभी अपना सा,
कभी सच्चा फिर कभी सपना सा,
जैसा भी ये जीवन मेरा है।
कभी विजयी हुआ, कभी हारा सा,
कहीं पूर्ण, भग्न कहीं तारा सा,
जैसा भी ये जीवन मेरा है।
विश्वास भरा कभी शंकित सा,
कभी मौन हुआ, कभी अंकित सा,
जैसा भी ये जीवन मेरा है।
कहीं हास भरा, कहीं रूदन भरा,
कहीं प्रेम घना, कहीं विरह भरा,
जैसा भी ये जीवन मेरा है।
कभी सत्व भाव, कभी रजस भरा,
कभी तम भी छाया अति घना,
जैसा भी ये जीवन मेरा है।
मैं जैसी हूँ स्वीकार इसे,
है सब कुछ अंगीकार इसे,
प्रतिपल ये मेरे संग सदा
जैसा भी ये जीवन मेरा है।