जेष्ठ अमावस माह का, वट सावित्री पर्व
जेष्ठ अमावस माह का, वट सावित्री पर्व
व्रत करें जो सुहागिनें, हो सुहाग पे गर्व
हो सुहाग पे गर्व, पड़ा जब यम से पाला
पति के लौटे प्राण, सती का तेज निराला
महावीर कविराय, प्रेम उमड़े ज्यों पावस
नतमस्तक यमराज, श्रेष्ठ यूँ जेष्ठ अमावस
महावीर उत्तरांचली