*जेलों में जाते नेताजी 【हास्य-व्यंग्य गीतिका】*
जेलों में जाते नेताजी 【हास्य-व्यंग्य गीतिका】
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(1)
जनता को कर नमस्कार जेलों में जाते नेताजी
बड़ा तीर मारा हो जैसे यों मुस्काते नेताजी
(2)
हेरा-फेरी के चक्कर में जेल काट कर आए हैं
फिर भी खुद को धुला दूध का हैं बतलाते नेताजी
(3)
चार दिनों के बाद देखना माइक को फिर तोड़ेंगे
अभी जमानत ताजा-ताजा है घबराते नेताजी
(4)
यह सब कुछ महंगे वकील की माया है जो छूट गए
मिली जमानत कैसे – कैसे भेद बताते नेताजी
(5)
अब तो किस्सा आम हो गया भारत में नेताओं का
गए जेल में और बेल में छुटकर आते नेताजी
(6)
कभी जेल जाने में भी परिवार-वाद दिख जाता है
पत्नी-बच्चों सहित जेल में मौज उड़ाते नेताजी
(7)
बिना पड़े तारीख आमजन जेलों में जा सड़ता है
प्रश्न यही है क्या उसकी आवाज उठाते नेताजी
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451