जेब में
कितने दुखी हो उठते हैं हम
जब करते हैं कमेन्ट
सोशल मीडिया की किसी दुःखभरी पोस्ट पर.
जाग उठती है मानवीयता,
छलक उठता है दर्द,
किसी के दर्द के प्रति.
आँखों की नमी दर्शाते हैं हम
किसी इमोजी के जरिये.
टाइप करते हैं मनोभाव शब्दों में,
और फिर टेक-केयर का रिएक्शन देने के बाद हम,
इंसानियत को फोन के साथ जेब में रखना नहीं भूलते.