*जेठ तपो तुम चाहे जितना, दो वृक्षों की छॉंव (गीत)*
जेठ तपो तुम चाहे जितना, दो वृक्षों की छॉंव (गीत)
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जेठ तपो तुम चाहे जितना, दो वृक्षों की छॉंव
1)
ग्रीष्म सदा से प्रभु की मर्जी, तपता ही आया है
सूरज गर्म थपेड़े लू के, संग-संग लाया है
कड़ी धूप में जलने देना, नहीं हमारे पॉंव
2)
पार्क सजे हों हर चौराहे, पौधों की हो क्यारी
शुद्ध हवा में सुखद सॉंस सब, ले पाऍं नर-नारी
भरा मिले शुचि अमृत जलाशय, नगर-नगर हर गॉंव
3)
जीवन सरल बनाओ इतना, श्रम-विश्राम मिले हों
सभी प्रहर मन में मस्ती के, सुंदर सुमन खिले हों
पैसों की खातिर जीवन का, नहीं लगाऍं दॉंव
जेठ तपो तुम चाहे जितना, दो वृक्षों की छॉंव
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451