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30 May 2024 · 1 min read

*जेठ तपो तुम चाहे जितना, दो वृक्षों की छॉंव (गीत)*

जेठ तपो तुम चाहे जितना, दो वृक्षों की छॉंव (गीत)
_________________________
जेठ तपो तुम चाहे जितना, दो वृक्षों की छॉंव
1)
ग्रीष्म सदा से प्रभु की मर्जी, तपता ही आया है
सूरज गर्म थपेड़े लू के, संग-संग लाया है
कड़ी धूप में जलने देना, नहीं हमारे पॉंव
2)
पार्क सजे हों हर चौराहे, पौधों की हो क्यारी
शुद्ध हवा में सुखद सॉंस सब, ले पाऍं नर-नारी
भरा मिले शुचि अमृत जलाशय, नगर-नगर हर गॉंव
3)
जीवन सरल बनाओ इतना, श्रम-विश्राम मिले हों
सभी प्रहर मन में मस्ती के, सुंदर सुमन खिले हों
पैसों की खातिर जीवन का, नहीं लगाऍं दॉंव
जेठ तपो तुम चाहे जितना, दो वृक्षों की छॉंव
—————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

Language: Hindi
172 Views
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