जूते
चक्कर पे चक्कर लगवाते हैं अफ़सर यूं दफ़्तर के
आते-जाते घिस जाते हैं जूते हर फ़रियादी के।
काम बड़े से बड़ा हो कोई, चुटकी में हो सकता है
मुंह पे मारो काम करा लो,गर जूते हों चांदी के।
जूतों की क़ीमत बढ़ जाती है साली के हाथों में
दूल्हे के सर पे बजते हैं,अक्सर जूते शादी के ।
जूता जड़ कर कहा था बुश से,क़लमकार बग़दादी ने
सदा याद रखना यह तोहफ़ा,बदले में बर्बादी के।
नियाज़ कपिलवस्तुवी
सिद्धार्थ नगर, उत्तर प्रदेश