जूझकर हारने मे संतोष है ।
अपनी नाकामी छिपाने का बहाना है
नही होगा मुझसे ये बुरा जमाना है ।
साध लो लडकर मरेगे डरकर नही
बुजदिलो को नही वीरो को पूजता जमाना है।
जूझकर हारने मे संतोष है मन मे
कौन गलत है कौन सही इसपर क्या जाना है।
सफल हुआ है वही देख लो मुडकर
जिसने की दृढ प्रतिज्ञा मन मे ठाना है।
डरना अकेले और अंधेरे से ठीक नही
विन्ध्य है तो प्रकाश होगा तम का न ठिकाना है।