जुल्म_ए_भक्ति
अधिकार,संघर्ष,तो इतिहास रहा है,
किसी ने समर्थम किया है,तो कोई भक्त रहा है,
पर याद है मुझे,
वो पोरष का भी पुरुषार्थ,
सूली पर चढ़ कर भी जिसने शत्रु को ललकार दिया है ।
अधिकार,संघर्ष,तो इतिहास रहा है,
किसी ने समर्थम किया है,तो कोई भक्त रहा है,
पर याद है मुझे,
वो पोरष का भी पुरुषार्थ,
सूली पर चढ़ कर भी जिसने शत्रु को ललकार दिया है ।