जुल्फों की छांव में सुला दिया
जुल्फों की छांव में सुला दिया
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जुल्फों की छांव में सुला दिया,
जन्नत की दरगाह में पहुंचा दिया|
छोड के दुनियादारी वो चल बसी,
गमों के है आंसुओं में रुला दिया|
शिद्दत से चाहा था जिस हूर क़ो,
पल में बेवफा ने हमें भुला दिया|
जाते-जाते बोली सूना सा जहां,
झुमका राहों में था गिरा दिया|
मनसीरत मन की बातें बोलती,
कैसा प्रेम का हमें सिला दिया|
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)