जुल्फे उनकी
दरवाजे हमारे जब उन्होने खटखटाये
उनको सामने पाकर हम फुले न समाये
जो नजरो से उनकी हमने नजरे मिलाई
थे होश मे पर जुबां हमारी लड़खड़ाये
जिसे खुदा ने बनाया क्या तारीफ करे
बस ये समझे उन्हे देख राहत मिल जाये
जुलफे उसकी नागिन सी बनी हुई थी
बचना फिर भला कैसे मुमकिन हो पाये
मोहन है बैठा उस पर सब कुछ लुटाये
जिंदगी को अपनी बड़े मजे मे बिताये