जुर्म भी बता दो
जुर्म भी बता दो
हमें सज़ा दो लाख, पर जुर्म भी बता दो।
चाहे न करो माफ, पर जुर्म भी बता दो।।
घुङचढी पर घोङी से,भी हमें उतार दिया,
मंदिरों में घुसने से, भी हमें इंकार किया,
कर दो झुग्गी राख, पर जुर्म भी बता दो।।
हमें सज़ा…….
जाति सूचक शब्दों ने, छलनी कर दिया,
तुम्हारी नफरतों ने, छलनी कर दिया,
ले लो गले का नाप, पर जुर्म भी बता दो।।
हमें सज़ा……
हमे कमतर क्यों आंकते रहे हो सदा,
क्यों हमारी क्षमता जांचते रहे हो सदा,
बुलाओ पंचायतखाप,पर जुर्म भी बता दो।।
हमें सज़ा…….
सिल्ला दलित होना, कोई कसूर नहीं है,
असमानता तो इंसानी, दस्तूर नहीं है,
मिटादो बेशक साख, पर जुर्म भी बता दो।।
-विनोद सिल्ला