जुमले
हर बार ऐसा शब्दजाल बिछाया है ,
एक ही शब्द हर बार नए रूप में आया है।
अब तो सब लोग खुशियां मनाएंगे ,
क्योंकि हम हरहाल में अच्छे दिन लाएंगे ।
पर परिणाम तो गर्मी की चिलचिलाती धूप है,
क्योंकि अच्छे दिन भी उसी शब्द का रूप है।
वो कभी संकल्प होता है तो कभी वादा है,
इसमें सच्चाई कम मायाजाल ज्यादा है ।
कभी ‘ऐसा ही होगा’ यह अमुक की गारंटी है,
आप न समझें तो यह आप की भ्रांति है ।
एक के लिए पर्यायवाची शब्दों का भंडार है,
आपके लिए हर बार शब्द नया तैयार है ।
आप न समझें यह आप की अज्ञानता है
ये चुनावी जुमले होते हैं हर कोई जानता है ।