” जुबां दिल की …..”
” जुबां दिल की …..”
जुबां दिल की इतनी है जटिल ,
कि उसे समझना है मुश्किल।
है “दिल” जुबां गर समझ जाता ,
एक दिल है मुस्कुराता ,
तो वहीं दूसरा है आँसू बहाता।
डगर यह मुश्किल है होता ,
कोई भूल भुलैया में खो जाता ,
तो कोई जिगर बन जाता।
मुश्किल से जटिल की जटिलता
को है कोई समझ पाता।
जो दिल जुबां को समझ जाता ,
वही जटिलता पर फतह पाता।
जुबां दिल की इतनी है जटिल ,
कि उसे समझना है मुश्किल ।
@पूनम झा । कोटा ,राजस्थान