” जुन्हाई का निखार ” !!
आज नीलांबर मुदित है , धरा भी दिखती ललित है !
चाँद रथ पर सज के आया ,आज रजनी द्वार ,
चाँदनी गलहार !!
रातरानी खिल रही है , गंध मीठी बह रही है !
पवन भी लगती सुवासित , इक कहानी गढ़ रही है !
मेघ सरके , राह देते , चाँद का सत्कार ,
चंद्रिका का प्यार !!
आज अँधियारा कहीं गुम , रात भी चमकी चमाचम !
जलधि में लहरें तरंगित , भाव जागे हैं मधुरतम !
राह , आँगन हैं प्रफुल्लित , चाँद की मनुहार ,
जुन्हाई का निखार !!
डोलता मन कामिनी का , देख कर रुख यामिनी का !
आज साजे है अनंग भी , साथ मद्धम रागिनी का !
है झरोखे झाँकती वह , चाँद का दीदार ,
कर लिया अभिसार !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )