जुनून
जुनून
कह गया कोई झट से
ऐसे वैसे ही बस फट से
औरतों में होता है क्या शक्ल के अलावा
अक़्ल नही रित्ते भर की बस है दिखावा
दिखावा करते करते पहुँच गई वो चाँद पर
इक पाँव ज़मीं पर तो दूजा आसमान पर
पर तुम भी कहाँ देख पाते हो
दंभ में अपनी अंधे हुए जाते हो
दबा देना चाहते हो उसकी काया
पर बीज को बढ़ने से कौन रोक पाया
कौन रोक पाया है नदी का भी बहाव
खुद तय करती मंज़िल बिन कोई सुझाव
क्या किसी ने उसे समंदर का रास्ता बताया
उसके जुनून ने उसे मंज़िल तक पहुँचाया
रेखांकन।रेखा