हमें अपने स्रोत से तभी परिचित होते है जब हम पूर्ण जागते हैं,
देख तुझको यूँ निगाहों का चुराना मेरा - मीनाक्षी मासूम
एक पल को न सुकून है दिल को।
काश! हमारा भी कोई अदद मीत होता ।
*मित्र हमारा है व्यापारी (बाल कविता)*
किसी ने हमसे कहा कि सरोवर एक ही होता है इसमें हंस मोती ढ़ूँढ़त
तू नहीं चाहिए मतलब मुकम्मल नहीं चाहिए मुझे…!!
गणेश वंदना (धत्तानंद छंद )
सुनसान कब्रिस्तान को आकर जगाया आपने
बस तुम्हारे ही सपने संझोते रहे।
छछूंदर के सिर पर चमेली का तेल।
Vishnu Prasad 'panchotiya'