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22 May 2024 · 1 min read

जुदाई

तेरी जुदाई से भी हमें हुआ प्यार है,
तेरी हर याद करती हमें बेक़रार है।

हसीन थे वो दिन जो गुज़रे तुम्हारे साथ,
याद है हमें मुलाक़ात की हर बात याद।

जुदाई में मिलने की चाहत देगी राहत,
यूँ तो सपनों में हर रोज़ होती हैं ढेरों बात।

न जाने अब फिर कब होगी मुलाक़ात,
तुम्हारी मुस्कुराहट ही है हमारी हिम्मत।

हमने सिर्फ़ मोहब्बत नहीं इबादत की है,
आँखों ही आँखों में थोड़ी शरारत हुई है।

तुम्हारे रुठने से दुनिया अधूरी लगती है,
तुम्हारे होने से हर ख़्वाहिश पूरी लगती है।

खोना नहीं चाहते तुम्हें हम किसी भी सूरत,
है हमारे छोटे से दिल में छोटी सी हसरत।

चाहो तुम हमें इस तरह ख़ुद पर गुमान हो जाए,
जुदाई के हर पल में भी तुम्हारा एहसास हो जाए।

डॉ दवीना अमर ठकराल ‘देविका’

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