जुदाई की शाम
आसमान है
खुला-खुला!
बारिशों में
धुला-धुला!!
जगा रहीं
मस्त हवाएं
पेड़-पौधों को
हिला-डुला!!
थक गया
शायद पपीहा
अपने प्रीतम को
बुला-बुला!!
दाना चुनने
चली चिड़ियां
अपने बच्चों को
सुला-सुला!!
मिल-जुल रहे
बिछड़े जोड़े
पिछली बातों को
भूला-भूला!!
क्या मिलता
मोहन तुम्हें
अपनी राधा को
रूला-रूला!!
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
(A Dream of Love)
#RainSong