Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2024 · 1 min read

जुड़ी हुई छतों का जमाना था,

जुड़ी हुई छतों का जमाना था,
वहा मेरा भी एक घर और पूरा मोहल्ला घराना था!!
दादी, बुआ, चाची, दीदी और बड़ो का रिश्ता सभी को निभाना था!!

82 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
झूठो के बीच में मैं सच बोल बैठा
झूठो के बीच में मैं सच बोल बैठा
Ranjeet kumar patre
रजनी छंद (विधान सउदाहरण)
रजनी छंद (विधान सउदाहरण)
Subhash Singhai
अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार का विशेष महत्व है। इस साल 30  न
अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार का विशेष महत्व है। इस साल 30 न
Shashi kala vyas
मेरी उम्मीदों पर नाउम्मीदी का पर्दा न डाल
मेरी उम्मीदों पर नाउम्मीदी का पर्दा न डाल
VINOD CHAUHAN
दिल के रिश्ते
दिल के रिश्ते
Surinder blackpen
हुआ दमन से पार
हुआ दमन से पार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
शीश झुकाएं
शीश झुकाएं
surenderpal vaidya
झूठ न इतना बोलिए
झूठ न इतना बोलिए
Paras Nath Jha
धर्म की खिचड़ी
धर्म की खिचड़ी
विनोद सिल्ला
भय
भय
Sidhant Sharma
दिल ने दिल को दे दिया, उल्फ़त का पैग़ाम ।
दिल ने दिल को दे दिया, उल्फ़त का पैग़ाम ।
sushil sarna
मेरे जज़्बात कुछ अलग हैं,
मेरे जज़्बात कुछ अलग हैं,
Sunil Maheshwari
यूँ जो तुम लोगो के हिसाब से खुद को बदल रहे हो,
यूँ जो तुम लोगो के हिसाब से खुद को बदल रहे हो,
पूर्वार्थ
शुक्रिया पेरासिटामोल का...! ❤
शुक्रिया पेरासिटामोल का...! ❤
शिवम "सहज"
खुशी -उदासी
खुशी -उदासी
SATPAL CHAUHAN
आपके बाप-दादा क्या साथ ले गए, जो आप भी ले जाओगे। समय है सोच
आपके बाप-दादा क्या साथ ले गए, जो आप भी ले जाओगे। समय है सोच
*प्रणय*
హాస్య కవిత
హాస్య కవిత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
हमने ये शराब जब भी पी है,
हमने ये शराब जब भी पी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मैं प्रभु का अतीव आभारी
मैं प्रभु का अतीव आभारी
महेश चन्द्र त्रिपाठी
"चापलूसी"
Dr. Kishan tandon kranti
सत्य की खोज
सत्य की खोज
SHAMA PARVEEN
चली ये कैसी हवाएं...?
चली ये कैसी हवाएं...?
Priya princess panwar
सफलता और खुशी की कुंजी हमारे हाथ में है, बस हमें उस कुंजी का
सफलता और खुशी की कुंजी हमारे हाथ में है, बस हमें उस कुंजी का
Ravikesh Jha
4469.*पूर्णिका*
4469.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Seema Garg
खुद को रखती हूं मैं
खुद को रखती हूं मैं
Dr fauzia Naseem shad
भला कैसे सुनाऊं परेशानी मेरी
भला कैसे सुनाऊं परेशानी मेरी
Keshav kishor Kumar
कली से खिल कर जब गुलाब हुआ
कली से खिल कर जब गुलाब हुआ
नेताम आर सी
सवेदना
सवेदना
Harminder Kaur
Loading...