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1 Aug 2023 · 1 min read

जुगनू सी

अंधेरों से कोई नाता है क्या तुम्हारा
कि जब भी बिलजी गुल होती है
तुम खींचें मेरे ओर चली आती हो

फ़िर मेरे आंखों से तुम दिखती हो
तभी मैं कहीं टकराता नहीं
वर्ना अपने गलियों में रोज ठोकर खाता हूं

तुम्हारे वो दिए तोहफे जुगुनू से कम ना है
देखो ना , वहां सब लैंप लिए खड़े हैं
और मैं अंधेरे में सब देख रहा हूं

तुम मेरी जादू की परी हों और इश्क
सच कहा ना , यहीं अपना नाता है न
उस बारिश के बूंदों जैसी , बिल्कुल शुद्ध

जैसे पिता जी दिन में हमारे लिए काम करते हैं
वैसे शायद तुम रौशनी में काम करतीं हो
तभी तुम अंधेरों में हमसे मिलने आतीं हो
पुतुल कुमारी

Language: Hindi
1 Like · 160 Views
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