जुगनू का इश्क
सुहानी रात में जुगनू….आ आ आ आ…
चमकते हैं फिज़ा के लिए….
उसको तो ये पता भी नहीं,
वक्त कम है जिंदगी का…..
दीवाना बनके शम्मा का ।
इश्क में ख़ुद जलने के लिए …..सुहानी रात में जुगनू….
बेइंतहा प्यार करता है,
पतंगा दिल जां से शमा को…
फ़िर भी क्यूं शमा जलाती है,
पतंगा को इम्तिहान के लिए…. सुहानी रात में जुगनू….
शमा की कद्र है जब तक,
पतंगा करे इश्क उससे तब तक…
बिन पतंगे शमा का तेज कहां,
जहां को जगमग रोशन करने के लिए……सुहानी रात में जुगनू…
सुहानी रात में जुगनू….आ आ आ आ…
चमकते हैं फिज़ा के लिए….