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4 Jun 2016 · 1 min read

जुगनुओं के खेत में

जुगनुओं के खेत में (मुक्तक)
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साँझ होते देख हलचल उस चमकती रेत में,
कुछ लगा हमको अलग सा उस नवल संकेत में,
जब सुना हमने उजाला बँट रहा है मुफ्त तो,
चल पड़े हम भी उसी पल जुगनुओं के खेत में ।
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हरीश लोहुमी, लखनऊ (उ॰प्र॰)
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Language: Hindi
333 Views
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