जी20
“वसुधैव कुटुम्बकम्” का, हुआ स्वप्न साकार।
जी20(ट्वेंटी)ने विश्व को,दिया नया आकार।।
“वसुधैव कुटुम्बकम्”है,महामंत्र का मंत्र।।
भाईचारा शांति का,सुख समृद्धि का तंत्र।।
पूरी धरती एक है,विश्व एक परिवार।
सबका एक भविष्य हो,सबका एक विचार।।
जी ट्वेंटी से खुल गया,सुखद शान्ति का द्वार।
विश्व बंधुत्व भावना,जीवन का आधार।।
अब बदलेगा विश्व सब, विकसित होगा देश।
अब होंगे खुशहाल सब,और सुखद परिवेश।।
महाशक्तियों का मिलन,है अद्भुत संयोग।
जी ट्वेंटी के मंच पर,आये दिग्गज लोग।।
विश्व शांति का देश ये,सबको लाया खींच।
मोदी जी भी शान से,बैठे सबके बीच।।
जी ट्वेंटी से देश को,मिली अलग पहचान।
भारत के नेतृत्व में,सफल रहा अभियान।।
कंधे-से-कंधा मिला,लिए हाथ में हाथ।
चुनौतियों का सामना,विश्व करेगा साथ।।
आगे-आगे भारती,पीछे जग-संसार।
पाकर मंत्र विकास का,हर्षित हुये अपार।।
खानपान आवाभगत,रहा बहुत ही खास।
भारतीय सांस्कृतिक का,जिसमें वास सुवास।।
दिखी देश की भव्यता,जी ट्वेंटी अभियान।
स्वर्णाक्षर में लिख दिया,भारत देश महान।।
चंद्रयान सोलर मिशन,पर आदित्य प्रज्ञान।
धर्म उसे देता दिशा,ऐसा बना विधान।।
स्वर्णिम भविष्य में किया,भारत देश प्रवेश।
प्रखर प्रगति के मार्ग पर,है स्थान विशेष।।
विश्व के मानचित्र पर,है भारत सिरमौर।।
दिव्य ज्ञान का गुरु बना, और शांति का ठौर।।
अब भारत का विश्व में, जमा अनोखा धाक।
इसकी क्षमता देख कर,सारा जगत अवाक।।
-लक्ष्मी सिंह