जी हमारा नाम है “भ्रष्ट आचार”
जी हमारा नाम “भ्रष्ट आचार” है
हमारा स्वाद बड़ा ही तीखा और चटपटेदार है ! वैसे तो हम वैदिक काल से ही हैं ! पर मुग़ल के जमाने से मेरा “मार्केट लाइम लाईट में ज्यादा हैं” ! पहले – पहले जयचंद ने मुहम्मद गोरी को “इंट्रोड्यूस” किया ! गोरी तो चठ्कारे ले कर हिंदुस्तान को मेरे जायके के साथ खूब खाया –
जयचंद को हमारे इस्तेमाल से बड़ा ही फायदा हुआ – नोट – पानी से मालामाल हो गया , देश के लोग पिसे तो क्या हुआ , हमारा मार्केट शेयर तो ऊपर गया ना भाई ! फिर क्या था – समय बदला – समय के साथ साथ जयचंद के कितने “वर्ज़न” निकले – मुग़ल हिंदुस्तान में पनप गए !
समय बदलता गया – लोग आते गए – जाते गए – फिर आ गए अँग्रेज़ !
जब अँग्रेज़ आये तो अंग्रेजों को मोडर्न जयचंदों ने मेरा “रीफायिंड वर्ज़न” खूब बेचा और हमारे “यूज” से बहुत से ऐसे जयचंद “राय बहादुर” – राय साहब” हो गए { वैसे तो ये सब “राय बहादुर” – राय साहेब” लोग गोरों और उनकी बीबीयों के सिर्फ तलवे चाटने का काम ही करते थे ( कभी फ़ुर्सत हो तो Indian Summer पढ़ के देखियेगा – हमारी मज़बूत पकड़ का अँदाजा हो जायेगा ) }
अँग्रेज़ को हिंदी आती नहीं थी तो अपने ही देश के इन जयचंदों एक ग्रुप बनाया “भ्रष्ट आचार यूजर ग्रुप”- फिर तो मेरा मार्केट “आल ओवर इंडिया” में प्रसिद्ध हुआ, अंग्रेज को खूब खुश किया और खुद भी उनके नाम पर अपने लोगों को ही खूब लूटा ! फिर मंगल पांडे ने उनको भगाने का बिगुल बजाया तो धीरे – धीरे असर भी हुआ!
समय अंतराल में भगत सिंह , सुभाष जी, बल्लभ भाई और गांधी जैसे लोग आज़ादी की लड़ाई में जुड़े , पर मेरा वजूद कम नहीं हुआ , देश के आजादी की लड़ाई में , बहुत से शातिर “जयचंद” इसमें हो गए शामिल, – शूट – बूट – छोड़ के खद्दर पहन लिए – उनको तो पता था की कपड़ा बदलने से क्या होता है – शाकाहारी कहलाइए और भ्रष्टाचारी भोजन कीजिये ! ( और देखिये आज तक सपरिवार मजे कर रहे हैं ! )
बस सही समय में मेरा “रीफायिंड वर्सन” का यूज हुआ फिर क्या – जो मजा अंग्रेज लोग किये वो यह खुद कर रहे हैं ( वैसे आज के युग में यह “भ्रष्ट आचार यूजर ग्रुप” के मेम्बर कुछ विशेष राजनयिक नेता और कुछ प्रशासनिक अधिकारी हैं बस आम आदमी जिसका ज़मीर ज़िंदा रहा वो हमारा यूज तब भी नहीं कर पाया और आज भी नहीं – और बस पिसता रहा !)
हाँ एक फ़र्क है – अंग्रेज – राज में “रेल – पोस्ट ऑफिस – टेलीफोन – बिजली- पानी – खेती – कोयले की खान” का विस्तार लोग के फायदे के लिए हुआ – और आज़ादी के बाद यह सब ऐसे “सेक्टर” जो आज भी सारे “भ्रष्ट आचार यूजर ग्रुप मेम्बर” को फायदा दे रहा है ! हाँ मेरा एक “सिस्टर प्रोडक्ट” भी है “चाटुकारी” बस इसको मिक्स किया और फिर क्या – रिजल्ट आज सब के सामने है !
बहुत से कुली “कूल” हो गए, और बहुत से बुड्ढे चाटुकार कुर्सी से चिपके रहने के लिए मेरा भरपूर यूज करते हैं – एक तरह से आज भी “अंग्रेज” का ही तलवा चाट रहे हैं – क्या करे आखिर – मेरा स्वाद ही ऐसा है –
जो कल तक भैंस की रखवाली करते थे या फिर ” दरवानी ” या पहलवानी करते थे या बहत ही साधारण थे – आज सत्ता में हैं और करोड़ों का मालिक है – यही मेरा जादु है भैया – “भ्रष्ट आचार विथ चाटुकारी पास्ता” का कोम्बिनेसन का कोई जवाब नहीं है !
कुछ ज़मीर वाले लड़ रहे है ( वैसे वो उस समय में भी लड़े थे – मेरा तो कुछ नहीं बिगड़ा – उनको मिटा दिया गया कुछ लोग का देहांत विदेश में हुआ , कुछ यहीं मर – खप गए – और जांच भी नहीं हुआ – “थैंक गाड” जांच करने वालों में बहुत से लोग “भ्रष्ट आचार यूज़र ग्रुप” के मेम्बर हैं !
डर तो लगता की कहीं यह “चाटुकारी” और “भ्रष्ट आचार यूज़र ग्रुप” भंग ना हो जाए – पर फिफ्टी – फिफ्टी चांस है की हम चोरी – छिपे यूज में तो रहेंगे ही !
हर बार – “विंडोज़ माईक्रोसॉफट ” की तरह हमारा नया “वर्जन” निकलता ही रहेगा मेरा यूज कभी कम नहीं होगा !
और सुप्त सामंतवादी विचारधारा के नौकरशाह – राजनेता बन , जनमानस को “ठग” के “जयचँद के नये वर्जन ” में आयेंगे और जब तक “शूट बूट छोड़ के खद्दर पहन के ईमानदारी की “खँजरी” बजा – बजा कर “शुद्ध भ्रष्टाचारी भोजन” कर लोग हमे यूज करते रहेंगे –
भाई – चाहे कोई कितना भी “ट्राई” कर ले – हम ऐसे प्रोडक्ट हैं की हम तो कल भी थे आज भी हैं और कल भी
अतुल “कृष्ण”