*जी लेने दो *
छोडो अब् ये नाच घिनौना, कुछ दिन तो जी लेने दो।
थोड़ा तेल बचा है दीपक , कुछ पल तो पी लेने दो ।।
चूस लिया सब खून देह का
वस् मिला यही पर्याय ने का
जाल नसों का शेष बचा है ।
इस छुद्र तंत्र के संग मुझे ,जीवन नैय्या ख़े लेने दो ।
छोडो अब् ———————————————–।1।
फिर है पतझड़ आने वाला
है पत्ता –पत्ता गिरने वाला
झुक जाएंगी कब ये डालें ,।
रोती हुई शाखों को इन ,नव कलियां सृजित कर लेने दो
छोडो अब् ———————————————–।2।
चुभा चुभा कर जख्म दिए हैं
निशि दिन खारी पान किये हैं
घावों का नासूर बन गया
सहलाने दो उन घावों को , कुछ टीसें भी भर लेने दो।
छोडो अब्————————————————-।3।
तुम मखमल की सेज सजा लो
कोर नयन की खूब अंजा लो
मेरी देह में चुभने हेतु कुछ
नागफनी के खर काँटों को ,इनअंजुलिन में भर लेने दो।
छोड़ो अब् ————————————————।4।
हर साँसों में गीत भरा है
रोता सा संगीत भरा है ।
गया लेने दो यहीं बैठकर
सुध बुद्ध खोये उन गीतों को ,आज मुखर हो लेने दो ।
छोडो अब् ————————————————।5।
धुंधलापन छवि दूर दूर तक,
है क्षितिज देखता घूर घूर कर
घाटी पहाड़ नजर हैं आते,
इस तिमिरित से महाशून्य में,घुट घुट कर मर लेने दो ।
छोड़ो अब् ————————————————।6।
आज मुखर हो लेने दो ।