जी लूँगी
सनम तेरी यही मर्जी तुम्हारे बिन मैं जी लूँगी।
विरहकी पीर सह सहकर मैंअश्को को भी पी लूँगी।।
अगर खंजर से चुभते हैं हमारे शब्द तुमको तो ।
ये खामोशी न टूटेगी लबों को ऐसे सी लूँगी।।
तुम्हारी याद में जब जब तड़प जाएगा दिल मेरा।
बता साजन खबर कैसे तुम्हारे हाल की लूँगी।।
मुझे जब मौत आये तो हो सूरत तेरी आँखों में।
पुकारे दिल तुझे लेकिन न तेरा नाम भी लूँगी।।
भले ही ज्योति जीवन भर रही तुमसे जुदा होकर ।
मगर अब आखिरी साँसें तेरी बाँहों में ही लूँगी।।
श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव