जी तो हमारा भी चाहता है ,
जी तो हमारा भी चाहता है ,
की हम भी दिल खोल कर हंसे ,
मुकुराएं और खिलखिलाएं।
मगर ज़ालिम तकदीर के
जानिब यह नामुमकिन है ।
जी तो हमारा भी चाहता है ,
की हम भी दिल खोल कर हंसे ,
मुकुराएं और खिलखिलाएं।
मगर ज़ालिम तकदीर के
जानिब यह नामुमकिन है ।