जीव-जगत आधार…
धरा-व्योम-जल-वायु-अग्नि हैं, जीव-जगत आधार।
पंच तत्व के सुघड़ मेल से, निर्मित ये संसार।
रक्खें इनको स्वच्छ सदा हम, इन पर जीवन भार।
मर्म समझ ले इतना मानव, हो जाए उद्धार।
उम्मीदों से बढ़कर जग को, देती छप्पर फाड़।
कौन सगा है कौन पराया, लेती पल में ताड़।
आँच न आए कोई इस पर, रखना नित्य सँभाल
कुदरत के लघु अवयव से भी, मत करना खिलवाड़।
सभी नेमत हैं कुदरत की, सभी हैं अंश ईश्वर का।
न छोटा या बड़ा कोई, सभी में नूर है उसका।
वही बन चेतना जग की, सदा सबमें धड़कता है,
जरा से स्वार्थ की खातिर, हनन कर जड़ न जीवों का।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )