जीव और निर्जीव।
प्रकृति जीव और निर्जीव दोनों के सहयोग से चलती है। ईश्वर की रचना बहुत विचित्र है।कि जीवित प्राणी को निर्जीव के ऊपर खड़ा कर दिया है। किसी भी जानवर के पैर देखिए। उसके पैर निर्जीव होते हैं। उनमें किसी भी प्रकार की कोई भी, नुकीली चीज लग जाने पर भी कोई असर नहीं होता है। क्योंकि उसका खुर सूखी हुई डाली के समान होता है।उस पैर को इतना कठोर बना दिया जाता है। कि जीव को किसी भी प्रकार की हानि न पहुंचे। और शेर के नाखून देखकर आप आश्चर्य में पड़ जायेंगे। उसके नाखून में ईश्वर ने शक्ति दे दी है कि,वह एक हथियार की तरह उपयोग कर सकें।उस निर्जीव वस्तु में शक्ति भर दी है। हमारी प्रकृति का संचालन ईश्वर ने किस तरह से किया है। उसमें बहुत सारे अचम्भे डाल दिये है।मानव शरीर में भी दो प्रकार की त्वचा पाई जाती है।एक त्वचा का प्रकार बहुत पतला होता है। और दूसरी त्वचा मोटी होती है।जो मानव के पैर के तलवे में पाई जाती है। इसका अर्थ यह है कि मानव की मृत कोशिकाएं भी बहुत काम की होती है।