Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Oct 2023 · 1 min read

जीवन

काजल की बन कोर प्रिये
हम तुमसे मिलने आयेंगे

जीवन पथ पर चलते-चलते
दो मोड़ कहीं चल पाएं हम,
कर्मशील इस पथ पर बढ़ते ,
ओझल गर हो जाएं हम

फिर दूर क्षितिज पर निर्निमेष
मेरे प्रीतम ,साजन मेरे
आलोक दामिनी का बनकर
हम राह तुम्हें दिखलाएंगे।

काजल की बन कोर प्रिये
हम तुमसे मिलने आयेंगे।

सम पर जब जीवन होगा
मंथर गति , हलाहल होगा
छवि मय होगा पश्चिम का व्योम
पल पल चिर प्रतीक्षारत होगा

ऐसे में जब मन की वेदना
होगी जब सागर से गहरी
जीवन की बहती, सरिता में
हम शीतलता बन आएंगे

काजल की बन कोर प्रिय
हम तुमसे मिलने आयेंगे।

गर संध्या जीवन में तेरे होगी
परछाई भी मुंह फेरे होगी
संगी जो मन भवन थे
घाव अथाह दे जायेंगे

फिर से शाखा उन्नत होगी
फिर से पल्लव आयेंगे
जीवन नहीं मरा करता है
बार बार कह जाएंगे

जब नक्षत्र काल चक्र वश होंगे
तपती में चलना होगा
दूबा पर फिर ओस टिका कर,
हम,पग शीतल कर जाएंगे

काजल की बन कोर प्रिय
हम तुमसे मिलने आयेंगे।

नियति का निर्धारित खेल
पात्र उसी के बन जाएंगे
दूर क्षितिज के मधुर गीत
होठों पर सज जाएंगे

चाहु दिशी नक्षत्र मंथन होगा
आलोडित फिर होंगी दिशाएं
उत्ताल तरंगें सागर होंगी
तट रत्नों से भर जाएंगे

मनु भावों का मानस होगा
देवतुल्य सुशासन होगा
जगत हित हम तेरा आंचल
आशीषों से भर जायेंगे

काजल की बन कोर प्रिय
हम तुमसे मिलने आयेंगे

2 Likes · 144 Views
Books from डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
View all

You may also like these posts

नये साल के नये हिसाब
नये साल के नये हिसाब
Preeti Sharma Aseem
नारी पुरुष
नारी पुरुष
Neeraj Agarwal
जिंदगी गवाह हैं।
जिंदगी गवाह हैं।
Dr.sima
माता - पिता
माता - पिता
Umender kumar
वेलेंटाइन डे शारीरिक संबंध बनाने की एक पूर्व नियोजित तिथि है
वेलेंटाइन डे शारीरिक संबंध बनाने की एक पूर्व नियोजित तिथि है
Rj Anand Prajapati
एक स्त्री चाहे वह किसी की सास हो सहेली हो जेठानी हो देवरानी
एक स्त्री चाहे वह किसी की सास हो सहेली हो जेठानी हो देवरानी
Pankaj Kushwaha
प्रेम और आदर
प्रेम और आदर
ओंकार मिश्र
"वैसा ही है"
Dr. Kishan tandon kranti
जिन्दगी परिणाम कम परीक्षा ज्यादा लेती है,खुशियों से खेलती बह
जिन्दगी परिणाम कम परीक्षा ज्यादा लेती है,खुशियों से खेलती बह
पूर्वार्थ
जब कोई हाथ और साथ दोनों छोड़ देता है
जब कोई हाथ और साथ दोनों छोड़ देता है
Ranjeet kumar patre
कुछ तो कर गुजरने का
कुछ तो कर गुजरने का
डॉ. दीपक बवेजा
कविता -
कविता - "करवा चौथ का उपहार"
Anand Sharma
HAPPINESS!
HAPPINESS!
R. H. SRIDEVI
थोड़ी थोड़ी शायर सी
थोड़ी थोड़ी शायर सी
©️ दामिनी नारायण सिंह
हिंदी दिवस पर हर बोली भाषा को मेरा नमस्कार
हिंदी दिवस पर हर बोली भाषा को मेरा नमस्कार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
4688.*पूर्णिका*
4688.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भय -भाग-1
भय -भाग-1
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरे वतन सूरज न निकला
मेरे वतन सूरज न निकला
Kavita Chouhan
*सौभाग्य*
*सौभाग्य*
Harminder Kaur
: कितनी प्यारी सहज सरल हो... ( हिन्दी दिवस पर )
: कितनी प्यारी सहज सरल हो... ( हिन्दी दिवस पर )
Avani Agrawal
मुझसा फ़कीर कोई ना हुआ,
मुझसा फ़कीर कोई ना हुआ,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुझे इश्क़ है
मुझे इश्क़ है
हिमांशु Kulshrestha
तेरे झूठ का जहर, तो जहर बांट रहा है।
तेरे झूठ का जहर, तो जहर बांट रहा है।
Sanjay ' शून्य'
⚘*अज्ञानी की कलम*⚘
⚘*अज्ञानी की कलम*⚘
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
😢आप ही बताएं😢
😢आप ही बताएं😢
*प्रणय*
मेरा और उसका अब रिश्ता ना पूछो।
मेरा और उसका अब रिश्ता ना पूछो।
शिव प्रताप लोधी
अपने ही  में उलझती जा रही हूँ,
अपने ही में उलझती जा रही हूँ,
Davina Amar Thakral
माॅंं ! तुम टूटना नहीं
माॅंं ! तुम टूटना नहीं
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
एक व्यंग्य 😀औरों का लिक्खा पढ़ो,मिली हमें ये सीख
एक व्यंग्य 😀औरों का लिक्खा पढ़ो,मिली हमें ये सीख
Dr Archana Gupta
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...