जीवन !
जीवन !
जीवन दो दिनों का मेला है,
फिर लोग क्यों अपनों से करता झमेला हैं ।१।
दुःख तो सभी को मिला है,
फिर सुख में किस बात की रेला है ।२।
अपने कर्मों का फल सभी को मिला है,
फिर लोगों की भीड में क्यो हमेशा ठेलम–ठेला है ।३।
कष्ट किसने नही झेला है,
फिर निराश होने का क्यो झमेला है ।४।
*दिनेश यादव