जीवन
जीवन में उल्लास रखो तुम,
हरदम नव एहसास रखो तुम।
आशाओं का पुंज ज़िन्दगी,
नित नवीन आभास रखो तुम।
भरो उड़ानों को हर मन में,
अपना अंबर पास रखो तुम।
हो समृद्ध जीवन हर जन का,
ऐसा ही इतिहास रखो तुम ।
मृत्यु का कुछ अफ़सोस न हो,
कुछ तो ऐसा खास रखो तुम ।
कह न सको यदि कठिन बात को,
लिखने का अभ्यास रखो तुम ।
….. डा.रंजना वर्मा ‘रैन’
गोरखपुर