जीवन
कहीं प्रतिबंध है जीवन, कहीं अनुबंध है जीवन,
कहीं पर राग है जीवन, कहीं पर द्वंद्व है जीवन।
कहीं ठहराव सागर सा, कहीं उन्मुक्त अंबर सा,
कहीं लगता है कि जैसे, गुफा सा बंद है जीवन।।
-विपिन शर्मा
कहीं प्रतिबंध है जीवन, कहीं अनुबंध है जीवन,
कहीं पर राग है जीवन, कहीं पर द्वंद्व है जीवन।
कहीं ठहराव सागर सा, कहीं उन्मुक्त अंबर सा,
कहीं लगता है कि जैसे, गुफा सा बंद है जीवन।।
-विपिन शर्मा