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30 Apr 2018 · 1 min read

जीवन

कहीं प्रतिबंध है जीवन, कहीं अनुबंध है जीवन,
कहीं पर राग है जीवन, कहीं पर द्वंद्व है जीवन।
कहीं ठहराव सागर सा, कहीं उन्मुक्त अंबर सा,
कहीं लगता है कि जैसे, गुफा सा बंद है जीवन।।
-विपिन शर्मा

Language: Hindi
557 Views
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