जीवन
खूब हिलोरें दिए हैं इसने,जीवन तो हैं इक रोलर कोस्टर।
कभी जले,अधपके कभी थे,जीवन धूप मिली बन टोस्टर।।
जब भी लगता कि सूरज चमकेगा, तम के बादल छा गए अपार।
प्रत्येक शिखर था इक फिसलनपट्टी,रहा दोहराता इतिहास खुद को बार-बार।
जीवन का हर घटनाक्रम सहेजे, विभिन्न उद्देश्य प्रतिफल अनूप!
घिस घिसकर है सामने आता, मानव तेरा हीरे सा नव रूप।।
सभी मोड़ और सभी घुमाव, गढ़ गये ‘नीलम’ तेरा सार ।
परिभाषा ‘वर्तमान’ है मेरी,पर इतिहास मेरा आधार।।
नीलम शर्मा ✍️