Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jul 2019 · 1 min read

जीवन है संग्राम

बन्धु रे जीवन है संग्राम,

निज अस्तित्व बचाने को,

लड़ना पड़ता है आठौ याम।

कभी समाज से कभी सिद्धांत से,

कभी अपने मन की उद्भ्रान्ति से।

बीत जाता है जीवन लड़ते लड़ते,

मिलता नहीं मुकाम।

कुछ स्वस्ति वाचक समाज में,

पा जाते हैं शीर्ष ठौर ।

लेकर सहारा जाति पाँति का,

बन जाते हैं सिर मौर।

वे ही संचालन करते हैं समाज का,

पाते हैं धन और नाम।

सोच है उनकी होंगे बदनाम-

पर नाम तो होगा।

नही हो भला देश समाज का,

उनका तो होगा ।

अनाम मरने से अच्छा है,

मरना होकर बदनाम।

ऐसी मानसिकता से समाज,

कैसे उन्नति पायेगा।

अवनत समाज के होने से,

क्या देश शीर्ष पर जाएगा?

संसद में होती है टाँग खिंचाई,

देश की धूमिल होती है छवि अभिराम।

जयन्ती प्रसाद शर्मा

Language: Hindi
3 Likes · 521 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरा दुश्मन
मेरा दुश्मन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
**प्याला जहर का हमें पीना नहीं**
**प्याला जहर का हमें पीना नहीं**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
!! होली के दिन !!
!! होली के दिन !!
Chunnu Lal Gupta
"कविता के बीजगणित"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रभु संग प्रीति
प्रभु संग प्रीति
Pratibha Pandey
Leading Pigment Distributors in India | Quality Pigments for Every Industry
Leading Pigment Distributors in India | Quality Pigments for Every Industry
Bansaltrading Company
कहां बिखर जाती है
कहां बिखर जाती है
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
*नारी पर गलत नजर डाली, तो फिर रावण का नाश हुआ (राधेश्यामी छं
*नारी पर गलत नजर डाली, तो फिर रावण का नाश हुआ (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
तेरे ख़्याल में हूं,मैं तेरे ज़िक्र में हूं ,
तेरे ख़्याल में हूं,मैं तेरे ज़िक्र में हूं ,
Dr fauzia Naseem shad
अर्थ  उपार्जन के लिए,
अर्थ उपार्जन के लिए,
sushil sarna
शब्द ही...
शब्द ही...
ओंकार मिश्र
सत्य यह भी
सत्य यह भी
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
कन्या
कन्या
Bodhisatva kastooriya
दिल का दर्द
दिल का दर्द
Dipak Kumar "Girja"
पहली दस्तक
पहली दस्तक
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
Phool gufran
वह सिर्फ तू है
वह सिर्फ तू है
gurudeenverma198
🙅जय जय🙅
🙅जय जय🙅
*प्रणय*
"" *जीवन आसान नहीं* ""
सुनीलानंद महंत
श्री गणेश भगवान की जन्म कथा
श्री गणेश भगवान की जन्म कथा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ,
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ,
इंजी. संजय श्रीवास्तव
चर्चित हो जाऊँ
चर्चित हो जाऊँ
संजय कुमार संजू
“श्री गणेश”
“श्री गणेश”
Neeraj kumar Soni
हाथ में उसके हाथ को लेना ऐसे था
हाथ में उसके हाथ को लेना ऐसे था
Shweta Soni
छवि के जन्मदिन पर कविता
छवि के जन्मदिन पर कविता
पूर्वार्थ
4634.*पूर्णिका*
4634.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
औरत अपनी दामन का दाग मिटाते मिटाते ख़ुद मिट जाती है,
औरत अपनी दामन का दाग मिटाते मिटाते ख़ुद मिट जाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Shankar lal Dwivedi and Gopal Das Neeraj together in a Kavi sammelan
Shankar lal Dwivedi and Gopal Das Neeraj together in a Kavi sammelan
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
कागज़ ए जिंदगी
कागज़ ए जिंदगी
Neeraj Agarwal
काश ! ! !
काश ! ! !
Shaily
Loading...